मुल्क राज आनंद : जिन्हें अंग्रेजी भाषा का प्रेमचंद भी कहा जा सकता है
द जंगल बुक' के लेखक रुडयार्ड किपलिंग को इस बात का श्रेय दिया जाना चाहिए कि वे भारतीय समाज को पश्चिम के ड्राइंग रूम तक ले गए. कइयों के ज़ेहन में प्रश्न उठ सकता है कि इससे भारतीयों को क्या हासिल हुआ. जी हां, हासिल कुछ न हुआ हो, पर जिस धुंध की परतों से यूरोप भारतीय समाज को देखता आ रहा था, इससे वह ह…
कबीरी अबीर
रमिया का बापू छिद्दमी धीमर होली की पहली दिन की शाम को काफी चिन्तित हो उठा।  चिन्ता का कोई ख़ास कारण न था पर उसने सोलहवें वर्ष में पैर रख रही रमिया को पड़ोस के हलवाई नथ्थ्न के मझले लड़के सुखविन्दर के साथ हँसते बोलते देख लिया था। यों कभी -कभी पड़ोसी होने के नाते रमिया और सुखविन्दर छोटी -मोटी बातें कर…
होले की हूल
होली है होला है ,नीचे की सड़क पर । विकट वेष तरुणों के होठों पर चुनी हुई गालियाँ हैं चरस और सिगरेट से उठता हुआ धुएँ का गोला है ...होला है .... होली छाछठ्वीं वर्षगाँठ स्वतंत्रता की। नेता लोग कहतें हैं चमक रहा भारत है फील गुड फैक्टर को फील ग्रेट करना ही उनकी महारथ है।  इतनें अल्प काल में गगन धरा पर कह…
काम से राम तक
अर्ध रात्रि का गहन अन्धकार। मेघाच्छादित गगन, हल्की फुहारों की अविरल वृष्टि। एक दुमंजिले मकान की बाहरी दीवाल से ऊपर चढ़ते किसी पुष्ट व्यक्ति की धुँधली झलक। एक उछाल के साथ छज्जा लाँघकर अंतर प्रविष्टि। छज्जे की ओर खुलते एक कक्ष के काष्ठ द्वार पर हल्की सी थपक। भीतर से किसी नारी कंठ का मधुर स्वर। कौन ह…
ईस्वरीय वरदान
आयीं तुम कन्ये तीन बन्धुओं के बाद मेरे घर मेरे द्वार | चाहिये था मुक्त हृदय स्वागत तुम्हारा ईश्वरीय वरदान स्वर्ण किरण कल्प -तरु कोपल सी किन्तु जड़ आत्मघाती ब्राम्हण परम्परा आयीं अभिशप्त तुम हंस न सके बूढ़े ओंठ दादी के स्वजन सम्बन्धी सभी मान चले अवतरण तेरा मम बालिके काजल रेख जननी भी तुम्हारी संस्कारों…
प्रश्न उत्तर मांगते हैं
हजारों साल से फसलें उगाता जा रहा हूँ भूख की डाईन निरन्तर बलि अभी तक पा रही है | काहिरा से सोन तट सब भर दिये वस्त्रा भरण से श्रम रता धनिया चिता पर अर्धनग्ना जा रही है | प्रश्न उत्तर मांगते हैं | जूझते अंगार प्रश्नों से रहे हैं ऋषि मनीषी एक उत्तर था ' प्रवाहण ' नें सुझाया | एक उत्तर बुद्ध की …